Saturday, November 19, 2011

हूँ सभी का मैं जो हर कोई बेगाना है तो क्या/

ये जो झरनों की , ये जो झूलों की /
दहकते गालों की , चहकते फूलों की /
महकी हवाओं की , रसीली घटाओं की /
सरसराते पत्तों की , मुस्कुराते बच्चों की /
बे-वजह मुस्कान की , ये तोतली ज़ुबान की /
छोटी छोटी बातों की , सुबहा-ओ-शाम और रातों की /
रूठे मनाने की , बहाने बनाने की /
अपने बेगानों में , जाने अनजानों में /
ये कैसे रिश्ते उभरे हैं , ये कैसे दर्पण निखरे हैं /
कुछ कहने की , कुछ सुनने की /
कुछ शब्द ओ निशब्द बुनने की /
हर पल,हर दिन,और हर रात , चलती है मासूम बात/
कुछ नई दुनिया की पूर्व में जो लाली छा रही/
कुछ नए मासूम रिश्तों की जो रिमझिम गा रही/
है नई दुनिया की हलचल , घर पुराना है तो क्या/
हूँ सभी का मैं जो हर कोई बेगाना है तो क्या/ --
- ( Hindi transcription by none other than Harman. Thanks, Harman )

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